सपनो में बुनता हु अब
ख्वाब एक नया
कही भी
किसी से
अब मिलता हू
यु इस तरह
की गूम हू,
ना जाने अब में kaha
खामोशियों में सुनता हूँ
लब्जो में जो हुआ न बया
ख्वाब एक नया
कही भी
किसी से
अब मिलता हू
यु इस तरह
की गूम हू,
ना जाने अब में kaha
खामोशियों में सुनता हूँ
लब्जो में जो हुआ न बया
सपनो में बुनता हु अब
ख्वाब एक नया
From:-dileep dhakad
ख्वाब एक नया
From:-dileep dhakad
हज़ार रुन्ज़ सर आँखों पर बात ही क्या है तेरी खुशी के ताल्लुक मेरी खुशी ही क्या है… रब्बा बचाए तेरी मस्त-मस्त निगाहों से फरिश्ता ही बहक जाए आदमी की तो ओकात ही क्या है..
एतना टूट के चाहा उन्हे की तड़प गये उन्हे पाने के लिए…. एक आख़िरी “ख्वाहिश” थी उनके दीदार के लिए…!! नसीब का खेल तो देखो यारो,,,, वो ब दफ़न क्ररनी पड़ि ह्मे सिर्फ़ उन्ही की ” खुशी” के लिए
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